A Special Kind Of Worship : उत्तर प्रदेश में कुछ गाँव की एक अजीबो गरीब प्रथा, पशुओं में फैली बीमारी को भागने के लिए एक पूजा का प्रयोग

उत्तर प्रदेश में कुछ गाँव की एक अजीबो गरीब प्रथा, पशुओं में फैली बीमारी को भागने के लिए एक पूजा का प्रयोग

A Special Kind Of Worship

उत्तर प्रदेश में कुछ गाँव की एक अजीबो गरीब प्रथा, पशुओं में फैली बीमारी को भागने के लिए एक पूजा का प

A Special Kind Of Worship : ये सच्ची घटना है जहाँ आज हमारा देश मेडिकल विज्ञानं और आईटी विज्ञानं में इतना आगे जा चूका है वहीँ आज भी उत्तर प्रदेश के कुछ गाँव में ये प्रथा निभाई जाती है। ये वाक्या है उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ के गाँव डेटा सैदपुर का कहा जाता है की जब यहाँ पर पशुओं में बीमारी ज्यादा फैल जाती है तो यहाँ के लोग एक विशेष प्रकार की पूजा का आयोजन करते हैं जिसको तंत का नाम दिया जाता है। 

तंत से जुड़ी कथा

कहा जाता है की इसका महत्व इतिहास के पन्नों में दफ़न हीर और राँझा के किस्से से जुड़ा हुआ है। बताते हैं पाकिस्तान के पंजाब राज्य में चनाब नदी के किनारे तख़्त हज़ारा नामक गाँव के जमींदार अमीर खाँ थे जिनकी पत्नी का नाम कैला था। ये राँझा उन्ही के बेटे थे। 
दूसरी तरफ पाकिस्तान के मशहूर जिले पाकिस्तान के अंदर जंगशालाबाद में चूचक शाह नवाब राज किया करते थे। जिनकी पत्नी का नाम शलैमा था इन्ही की बेटी थी हीरे। 
हीरे खूबशूरती में मशहूर थी। उधर राँझे को हीरे का सपना दिखाई देता है और वो हीरे से मिलने के लिए चला गया। 

उत्तर प्रदेश में कुछ गाँव की एक अजीबो गरीब प्रथा, पशुओं में फैली बीमारी को भागने के लिए एक पूजा का प्रयोग

आखिर राँझे का संबंध इस तंत से कैसे जुड़ा

तो कहा जाता है की राँझा गुरु गोरखनाथ का शिष्य था जो योग विद्या जानता था। तो उस समय पर कोई वाहन नहीं चलते थे तो राँझा पैदल ही हीरे से मिलने के लिए जा रहा था। 
उधर एक गाँव में पशुओं में बीमारी बहुत ही ज्यादा फैल गई थी बहुत पशु बीमारी के कारण मारे जा चुके थे। 
तब राँझा उस गाँव से होकर गुजर रहा था तो राँझे को उस घटना के बारे में पता चलता है। तब वह राँझा अपनी योग विद्या से उन सब बीमारियों को वहाँ से भगाता है। 
उसके बाद वो वचन देता है की आज के बाद जहाँ पर भी बीमारी ज्यादा फैलेगी वहाँ पर अगर राँझा के नाम से पूजा की जायेगी तो बीमारी वो गाँव छोड़कर चली जायेगी। 

तंत के नियम

  • पूजा वाले दिन तवे पर खाना और गैस चूल्हे इत्यादि नहीं चलेंगे। 
  • इस दिन ना ही कोई व्यक्ति गाँव से बाहर जायेगा ना कोई बाहर का व्यक्ति गाँव में आयेगा। 
  • इस दिन कोई भी किसी भी तरह का कार्य गाँव में नही किया जायेगा। 
  • दुकानें और मार्केट नहीं खुलेगी ना ही कोई सामान बेचा और खरीदा जायेगा। 
  • खेतों से संबंधित कोई कार्य नहीं किया जायेगा। 
  • सुबह को ही गाँव की बिजली काट दी जायेगी। 
  • कोई भी व्यक्ति अपने घर में बल्ब या लाइट नहीं जलायेगा। 
  • रात में जब तंत निकाला जायेगा तो सारे गाँव में एकदम अंधेरा कर दिया जायेगा। 
  • कोई व्यक्ति मदिरा पान नहीं करेगा और ना ही कोई व्यक्ति पत्ते खेलेगा। 

उत्तर प्रदेश में कुछ गाँव की एक अजीबो गरीब प्रथा, पशुओं में फैली बीमारी को भागने के लिए एक पूजा का प्रयोग

और भी बहुत नियम इसके साथ बनाये जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति नियम भंग करता है तो उसके लिए गठित कमेटी के अनुसार दंड का विधान तय किया जायेगा।


लेखक

सौरित चौधरी
(स्वतंत्र लेखक)
(CEO Namrata Data Solution Pvt. Ltd.)